Tuesday, October 30, 2012

 कला अंकुर

 पिछले वर्ष अजमेर की प्रमुख कला प्रोत्साहन संस्था कला अंकुर( www.kalaankur.org ) से जुड़ने का व उसकी सदस्य बनने का मौका मिला.इसके कार्यक्रमों की स्क्रिप्ट राइटिंग में सक्रिय भागेदारी से मेरी रचनात्मकता को खुराक मिलती है .कला अंकुर के रूपक कार्यक्रम में मेरा परिचय कराया गया तथा मुझे अपनी एक कविता प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया.प्रस्तुत है यू tube की विडियो लिंक
http://www.youtube.com/watch?v=QMfuk9KP0hE

Tuesday, October 9, 2012

कविता का प्रसव
हर  आने   वाले  दिन  का  वाकया 
और  जाने  वाले  दिन  की   उथल  पुथल 
क्यों  जागते  नहीं   एहसास  कोई ?
उमड़ता  घुमड़ता  रहता  है 
दिल   में  कुछ  कुछ 
क्यों  उतार  नहीं  पाती  हूँ 
पन्नो   पर  कविता  में ?
क्यों  महसूस  नहीं  पाती  हूँ 
गम  की  चुभन  या  ख़ुशी  की  छुअन 
हाँ  शायद  कोढ़ी  हो  गयी  हैं   संवेदनाएं 
और  कविता  का  प्रसव   तो
होता  है  वेदना  से  ही . ...