कविता का प्रसव
हर आने वाले दिन का वाकया
और जाने वाले दिन की उथल पुथल
क्यों जागते नहीं एहसास कोई ?
उमड़ता घुमड़ता रहता है
दिल में कुछ कुछ
क्यों उतार नहीं पाती हूँ
पन्नो पर
कविता में ?
क्यों महसूस नहीं पाती हूँ
गम की चुभन या ख़ुशी की छुअन
हाँ शायद कोढ़ी हो गयी हैं
संवेदनाएं
और कविता का प्रसव तो
होता है
वेदना से ही . ...
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