Wednesday, May 14, 2014

ज़िन्दगी से जंग

ज़िन्दगी  !
दो दो हाथ कर लें 
कोशिश कर तू 
मुझे पटखनी देने की 
ये ले मैं फिर जीती
तूने हर रास्ते बंद कर दिए?
ले मैं निकल गयी
पतली गली से !
अरे अरे।
फ़िर नयी चुनौतियां?
तूने समझ क्या रखा है मुझे?
मैं और मजबूत बन कर
लड़ूंगी तुझसे 
तू है किस खेत की मूली ?
लड़ती जाउंगी 
कभी चोट खाऊँगी 
कभी हार जाऊँगी 
मगर फिर भी लड़ती जाउंगी````` 
जब तक तू
सुधर नहीं जाती 
या फिर तू 
चली नहीं जाती !

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