मौन का संवाद
मैं लिख रही हूँ
किताब
जिंदगी की यथार्थ कविताओं की
क्या तुम पढ़ सकते हो?
मेरी आँखों में तैरते शब्द?
सुन सकते हो?
आंसुओं से टपकते गीत
मुस्कान के पीछे छिपा हुआ
दर्द का संगीत?
समझ सकते हो?
हर रोटी के साथ सिंकती मेरी भावनाएं?
चख सकते हो
सब्जी में उतरा कविता का रस?
बच्चों को बड़ा करने में
मैं लिख रही हूँ
जिंदगी का महाकाव्य
उस रचना में
क्या तुम पढ़ सकते हो
मेरा अनलिखा नाम?
घर में करीने से सजी चीजें
मेरी भावनाओं की
उथल पुथल से उपजे
नए छंद हैं
शायद तुम्हे पुराने लगें!
मैं तो लिख रही हूँ यथार्थ की कविता
मगर क्या तुम इतने साक्षर हो?
कि पढ़ सको
मेरे मौन का संवाद?
मेरे अनुभव में
ReplyDeleteमौन से संवाद के लिए
होना चाहिए एक सेतु
मौन और मौन के बीच
जरूरी नहीं कि वह सेतु
अक्षरों का ही हो
कोरे कागज पर
ह्रदय से उछल कर
आँखों की राह टपक कर
और सूखकर अश्क छोड़ गए
आँसू भी
सह्रदय की अंतर्करुणा को
अभिभूत कर सकते हैं
अश्कों में अतर्मौन उमड़ कर
पिरोया और पुरा होना चाहिए.
--शेषनाथ
ati sundar.dhanyavaad
ReplyDeleteमौन का संवाद पढ़ने के लिए जिस विद्द्या का ज्ञान होना ज़रूरी है वह बहुत कम लोगों में ही पाया जाता है।
ReplyDeletesach hai Pallavi ji.dhanyavaad
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