कविता की मृत्यु
एक बच्चा जनमता है
आश्चर्य सृष्टि का
आँखों में कौतूहल लिये
बड़ा होता है
नित नए आश्चर्य
जन्म लेती है कविता
वह कवि बन जाता है
अपनी कल्पनाओं की
रंगीन दुनिया में खोया हुआ
बच्चा बड़ा और बड़ा होता जाता है
दुनिया के बदलते रंगों को
महसूसता है-भोगता है
छल कपट ,धोखा
और रिश्तों के दंश -
टूटते हैं खुशनुमा भ्रम
दुनिया होती जाती है बदरंग
जिंदगी छलती है बार बार
व्यक्ति जिन्दा रहता है कवि
मर जाता है
और कविता भी .
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ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी .यह मेरे लिए नव वर्ष का उपहार है -मंजुश्री
ReplyDelete"व्यक्ति जिन्दा रहता है कवि
ReplyDeleteमर जाता है
और कविता भी"