Saturday, December 29, 2012


कविता की मृत्यु 
एक बच्चा जनमता  है
आश्चर्य सृष्टि का
आँखों में कौतूहल  लिये
बड़ा होता है
नित नए आश्चर्य
जन्म लेती है कविता
वह कवि  बन जाता है
अपनी कल्पनाओं की
रंगीन दुनिया में खोया हुआ
बच्चा बड़ा और बड़ा होता जाता है
दुनिया के बदलते रंगों को
महसूसता है-भोगता है
छल कपट ,धोखा
और रिश्तों के दंश -
टूटते हैं खुशनुमा भ्रम
दुनिया होती जाती है बदरंग
जिंदगी छलती है बार बार
व्यक्ति जिन्दा रहता है कवि
 मर जाता है
और कविता भी .

3 comments:

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी .यह मेरे लिए नव वर्ष का उपहार है -मंजुश्री

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  3. "व्यक्ति जिन्दा रहता है कवि
    मर जाता है
    और कविता भी"




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