नव वर्ष की शुभकामनायें
फिर से नया वर्ष आ गया
हर वर्ष की तरह
कैलेन्डर के पन्ने बदले
दिसम्बर माह से जनवरी हुआ
हर वर्ष की तरह
फोने कॉल, ग्रीटिंग कार्ड ,ई मेल .....
वही घिसी पिटी उधार ली हुयी भाषा
फ़ॉर्वर्डेड एस एम् एस और ई मेल
क्या बदला ?तारीख के अलावा
समाज में ?हमारे दिलों में?
सब कुछ तो वैसा ही है
भ्रष्टाचार ,अनाचार,दुराचार
घरेलू हिंसा,दहेज़ हत्या ,चोरी -डकैती
हत्या लूटमार ........
हर वर्ष की तरह
हमारे दिलों में
ईर्ष्या ,द्वेष ,राजनीति ,
घृणा ,छल कपट
कुछ भी तो नहीं बदला .
नया वर्ष तो तब होता
जब हम ज्यादा जागरूक होते
अपने कर्तव्यों के प्रति
देश के प्रति ...समाज के प्रति
कृत संकल्प होते
एक नए समाज की स्थापना के लिए
जहाँ हर व्यक्ति को एहसास हो
सुरक्षा का ,शांति का ,प्रेम का
लेकिन नहीं
आज 31 दिसम्बर की रात
फिर हम अपने परिवार के साथ
किसी महंगे रेस्टुरेंट में चले जायेंगे
वहां नाच गा आएंगे
पैसे फूंक कर खुश हो आएंगे
हो जायेगा नव वर्ष का उत्सव
हर वर्ष की तरह
सब कुछ वैसा ही चलता रहेगा
हमारे देश में ,समाज में ,हमारे दिलों में
हर वर्ष की तरह
इस नकारात्मकता में भी
सकारात्मक सोच रखना चाहती हूँ
शुभकामनायें हैं सभी को
थोडा हम और चैतन्य हों
बदल डालें स्वयं को ,देश को ,समाज को
न हो नवीन वर्ष
घिस पिटा
हर वर्ष की तरह ........
मंजुश्री गुप्ता
फिर से नया वर्ष आ गया
हर वर्ष की तरह
कैलेन्डर के पन्ने बदले
दिसम्बर माह से जनवरी हुआ
हर वर्ष की तरह
फोने कॉल, ग्रीटिंग कार्ड ,ई मेल .....
वही घिसी पिटी उधार ली हुयी भाषा
फ़ॉर्वर्डेड एस एम् एस और ई मेल
क्या बदला ?तारीख के अलावा
समाज में ?हमारे दिलों में?
सब कुछ तो वैसा ही है
भ्रष्टाचार ,अनाचार,दुराचार
घरेलू हिंसा,दहेज़ हत्या ,चोरी -डकैती
हत्या लूटमार ........
हर वर्ष की तरह
हमारे दिलों में
ईर्ष्या ,द्वेष ,राजनीति ,
घृणा ,छल कपट
कुछ भी तो नहीं बदला .
नया वर्ष तो तब होता
जब हम ज्यादा जागरूक होते
अपने कर्तव्यों के प्रति
देश के प्रति ...समाज के प्रति
कृत संकल्प होते
एक नए समाज की स्थापना के लिए
जहाँ हर व्यक्ति को एहसास हो
सुरक्षा का ,शांति का ,प्रेम का
लेकिन नहीं
आज 31 दिसम्बर की रात
फिर हम अपने परिवार के साथ
किसी महंगे रेस्टुरेंट में चले जायेंगे
वहां नाच गा आएंगे
पैसे फूंक कर खुश हो आएंगे
हो जायेगा नव वर्ष का उत्सव
हर वर्ष की तरह
सब कुछ वैसा ही चलता रहेगा
हमारे देश में ,समाज में ,हमारे दिलों में
हर वर्ष की तरह
इस नकारात्मकता में भी
सकारात्मक सोच रखना चाहती हूँ
शुभकामनायें हैं सभी को
थोडा हम और चैतन्य हों
बदल डालें स्वयं को ,देश को ,समाज को
न हो नवीन वर्ष
घिस पिटा
हर वर्ष की तरह ........
मंजुश्री गुप्ता
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