Monday, January 23, 2012

बूँद !



मैं एक बूँद !
समय की प्रवहमान नदी में
जीवन पथ पर
बहती जाती
बहती जाती
खुश हो निर्झर सा गाती
चट्टानों से टकराती
टूटती
फिर जुड़ जाती
कभी भंवर में फंसती
उबरती....समतल पर शांत हो जातो
जीवन पथ पर
बहती जाती
बहती जाती
अनंत महासागर में विलीन होने को....

2 comments:

  1. सुन्दर रचना मंजुश्री जी
    हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.

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    1. धन्यवाद संजय जी.कविताओं की प्रशंसा के लिए भी और मेरे ब्लॉग को ज्वाइन करने के लिए भी.ब्लॉग्गिंग का अनुभव मेरे लिए नया है.यदि कुछ प्रक्टिकल टिप्स दे सकें तो आभारी होउंगी.मंजुश्री

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