मन उपवन
मन के उपवन में
उगते हैं
फूल भी कांटे भी
ये तुम पर निर्भर है
की तुम क्या बोते हो .....
मगर दूसरों के लिए बोये गए कांटे
घायल करते हैं खुद के मन को
कभी न चाहने पर भी उग आते हैं
अनचाहे जंगली पौधे औए कांटे .
माली तो हम स्वयं हैं
क्यों न निराई गुडाई करें
फेंक दें ईर्ष्या ,द्वेष,कटुता प्रतिशोध ,
अविश्वास ,अहम् और दंभ
और शिकायत के कांटे
उगायें प्रेम ,सहयोग,क्षमा ,विश्वास
और उपकार के फूल
डालें खाद और पानी
सकारात्मक विचारों और रचनात्मकता के
फैले सुगंध विश्व में
हमारे परिश्रम और सुकर्मो की .....
मंजुश्री
मन के उपवन में
उगते हैं
फूल भी कांटे भी
ये तुम पर निर्भर है
की तुम क्या बोते हो .....
मगर दूसरों के लिए बोये गए कांटे
घायल करते हैं खुद के मन को
कभी न चाहने पर भी उग आते हैं
अनचाहे जंगली पौधे औए कांटे .
माली तो हम स्वयं हैं
क्यों न निराई गुडाई करें
फेंक दें ईर्ष्या ,द्वेष,कटुता प्रतिशोध ,
अविश्वास ,अहम् और दंभ
और शिकायत के कांटे
उगायें प्रेम ,सहयोग,क्षमा ,विश्वास
और उपकार के फूल
डालें खाद और पानी
सकारात्मक विचारों और रचनात्मकता के
फैले सुगंध विश्व में
हमारे परिश्रम और सुकर्मो की .....
मंजुश्री
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