Tuesday, September 30, 2014

चिन्ता
मनीषा के हाथों में बेटे का छठवीं कक्षा का रिपोर्ट कार्ड था। तीन विषयों में सी ग्रेड देखकर पहले तो वह बेटे पर चिल्लाई ,बहुत गुस्सा किया, उसके बाद फूट-फूट कर रो पड़ी। प्रिया की बेटी के ग्रेडस देखो - हर विषय में ’ए’ ग्रेड मिली है। एक रोहन है - सारा दिन कम्प्यूटर गेम्स और वीडियो और टी.वी! मन होता है सब तोड़ के फेंक दो!पता नहीं जीवन में कुछ कर भी पायेगा या नहीं?इतने सपने संजो रखें हैं इसे लेकर!
सारा दिन वह तनावग्रस्त रही। पता नही क्या होगा इस लड़के का! इसका भविष्य तो अंधकार मय है।
दूसरे दिन बाजार में उसकी एक पुरानी सहेली नीता एकाएक बाजार में मिल गई। लगभग पांच साल बाद! घर-गृहस्थी के काम में दोनो ऐसे उलझी कि मिलना ही नही हुआ। दोनो एक दूसरे को देखकर-चहक उठी। नीता ने कहा - ” चल - रेस्टोरेन्ट में चल कर काफी पीते है। नीता के चेहरे पर संतोष और प्रसन्नता की झलक मनीषा को दिखाई दे रही थी।
बातों बातों में नीता ने मनीषा से पूछा - तू इतनी तनावग्रस्त क्यों दिख रही है? क्या हुआ?
मनीषा ने उदासी से बताया- क्या बताऊँ - ”बेटा पढ़ता लिखता ही नहीं है - तीन सब्जेक्ट्स में ’सी ग्रेड’ आ गई है।
तेरे कितने बच्चे है - और क्या कर रहे हैं? मनीषा ने नीता से पूछा
नीता ने कहा ”मेरा एक ही बेटा है 10 साल का !मगर वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है। हमारी बहुत कोशिशों और इलाज के बाद कल उसने पहली बार - मुझे ’मम्मा’ कहा ! इसलिए मैं इतना खुश हूँ।
मंजुश्री

No comments:

Post a Comment