ज़िन्दगी की किताब
अपनी ज़िन्दगी की किताब तू ऐसी लिख कि उसमे जीने का हो खजाना
मुश्किलें राह में हों कितनी ही या ज़िन्दगी ग़मों का हो अफसाना
खुद के कदमो पर रख भरोसा मेरे दोस्त तू आगे ही बढ़ता चल
दिल में हो हिम्मत और हौसला और मुस्कुराते लबों पर हो तराना
अपनी ज़िन्दगी की किताब तू ऐसी लिख कि उसमे जीने का हो खजाना
मुश्किलें राह में हों कितनी ही या ज़िन्दगी ग़मों का हो अफसाना
खुद के कदमो पर रख भरोसा मेरे दोस्त तू आगे ही बढ़ता चल
दिल में हो हिम्मत और हौसला और मुस्कुराते लबों पर हो तराना
No comments:
Post a Comment