Friday, September 5, 2014

ज़िन्दगी की किताब 

अपनी ज़िन्दगी की किताब तू ऐसी लिख कि उसमे जीने का हो खजाना 
मुश्किलें राह में हों कितनी ही या ज़िन्दगी ग़मों का हो अफसाना 
खुद के कदमो पर रख भरोसा मेरे दोस्त तू आगे ही बढ़ता चल 
दिल में हो हिम्मत और हौसला और मुस्कुराते लबों पर हो तराना 


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