Sunday, March 18, 2012

सृष्टि


प्रभु ,अद्भुत हँ
 तेरी सृष्टि के चमत्कार
क्या खूब है वो क्षण
जब प्रस्फुटित होती है  कोई मुकुलिका 
होता है पुष्प तैयार
महक उठता है जीवन उपवन
होते हैं जब दो ह्रदय एकाकार 
अद्भुत है वो क्षण 
जब गूंजती है-
निश्छल किलकारी
मधुर संगीत सी
किसी के सूने आंगन में
होते हैं स्वप्न साकार
सुदर है वो क्षण 
जब जन्म लेती है कविता
होता है किसी ह्रदय में मधुर भावों का संचार 
या फिर कोई सुन्दर सा चित्र
बनता है कोई चित्रकार
या फिर गूंजती है मधुर संगीत की झंकार
इन क्षणों से ही अर्थ है जीवन का 
अन्यथा जीवन है बेकार 



1 comment:

  1. सच है...
    भावों की अभिव्यक्ति में ही सार्थकता है जीवन की...
    बहुत सुन्दर रचना....

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