शाश्वत सत्य
गंगा के मणिकर्णिका
और हरिश्चन्द्र घाट पर
होता है- जीवन के
शाश्वत सत्य का साक्षात्कार
कभी न बुझने वाली आग का
पड़ता प्रतिबिंब लहरों के आर-पार
हमारे जीवन का दर्पण ही तो है
चाहे कितने ही करो अविष्कार
या कोशिश करो हजार बार-बार
मगर इस सत्य को
बदल नही सकता कोई चमत्कार
जमा कर लो कितने ही हीरे मोती
या हवेलियां और गाड़िया हजार
अन्त में यहां तक ही पहुंचायेंगे
तुन्हे कन्धे ही चार
गंगा के मणिकर्णिका
और हरिश्चन्द्र घाट पर
होता है- जीवन के
शाश्वत सत्य का साक्षात्कार
कभी न बुझने वाली आग का
पड़ता प्रतिबिंब लहरों के आर-पार
हमारे जीवन का दर्पण ही तो है
चाहे कितने ही करो अविष्कार
या कोशिश करो हजार बार-बार
मगर इस सत्य को
बदल नही सकता कोई चमत्कार
जमा कर लो कितने ही हीरे मोती
या हवेलियां और गाड़िया हजार
अन्त में यहां तक ही पहुंचायेंगे
तुन्हे कन्धे ही चार
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